प्रोटेक्टेड प्लैनेट रिपोर्ट 2020 और आईची लक्ष्य 11
‘प्रोटेक्टेड प्लैनेट रिपोर्ट 2020’ [Protected Planet Report 2020]
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चर्चा में क्यों?
19 मई‚ 2021 को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम‚ विश्व संरक्षण निगरानी केंद्र तथा प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संघ द्वारा नेशनल ज्योग्राफिक सोसायटी के सहयोग से ‘प्रोटेक्टेड प्लैनेट रिपोर्ट 2020’ जारी की गई है।
उद्देश्य:
- प्रोटेक्टेड प्लैनेट रिपोर्ट‚ 2020 के द्वारा जैवविविधता पर आईची लक्ष्य 11 (Aichi Target-11) की स्थिति पर रिपोर्ट प्रदान करने के साथ-साथ भविष्य की स्थिति पर भी विचार किया गया है।
- ध्यातव्य है कि वर्ष 2010 में निर्धारित हुए जैव-विविधता पर आईची लक्ष्य 11 का उद्देश्य वर्ष 2020 तक 17 प्रतिशत स्थलीय एवं अंतर्देशीय जल क्षेत्र तथा 10 प्रतिशत तटीय एवं समुद्री क्षेत्र का संरक्षण करना है।
- गौरतलब है कि प्रोटेक्टड प्लैनेट रिपोर्ट के तहत संपूर्ण विश्व में आरक्षित एवं संरक्षित क्षेत्रों की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है।
इस रिपोर्ट के महत्वपूर्ण निष्कर्ष इस प्रकार हैं-
- इस रिपोर्ट के अनुसार‚ वर्ष 2010 के बाद से वैश्विक नेटवर्क के संरक्षित क्षेत्रों में 21 मिलियन वर्ग किमी. से अधिक क्षेत्रों की वृद्धि हुई है‚ जो रूसी संघ की समस्त भूमि की तुलना में अधिक है।
- इस दौरान ओईसीएम (Other Effective Area-based Conservation Measure OECM) के द्वारा वैश्विक नेटवर्क के संरक्षित क्षेत्रों में 6 मिलियन वर्ग किमी. से अधिक क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
- ओईसीएम उन क्षेत्रों को कहा जाता है‚ जो संरक्षित क्षेत्रों के बाहर ‘इन सीटू’ (In-Situ) के तहत सरंक्षण प्राप्त करते हैं।
NOTE : ध्यातव्य है कि ओईसीएम को सर्वप्रथम 2019 में रिकार्ड किया गया था।
- मात्र पांच देशों और क्षेत्रों तक सीमित होने के बावजूद‚ ओईसीएम द्वारा उपलब्ध आंकड़े यह दर्शाते हैं कि वे वैश्विक नेटवर्क के संरक्षित क्षेत्रों के कवरेज तथा कनेक्टिविटी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- पिछले दशक के दौरान ओईसीएम तथा संरक्षित क्षेत्रों के द्वारा 42 प्रतिशत क्षेत्रों को वैश्विक नेटवर्क में जोड़ा गया है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार‚ संरक्षित क्षेत्रों तथा ओईसीएम द्वारा पूर्व में निर्धारित 17 प्रतिशत लक्ष्य की तुलना में स्थलीय और अंतर्देशीय जल क्षेत्रों का 64 प्रतिशत (22.5 मिलियन वर्ग किमी.) क्षेत्र को वैश्विक नेटवर्क में जोड़ा गया है।
- स्पष्ट है कि आगे के अपडेट के द्वारा नए ओईसीएम की पहचान के फलस्वरूप इस लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाएगा।
- इन 10 वर्षों के दौरान संरक्षित क्षेत्रों और ओईसीएम में सबसे अधिक वृद्धि समुद्री और तटीय क्षेत्रों में हुई है जो 10 वर्ष पूर्व आच्छादित नेटवर्क की तुलना में 68 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
- इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा राष्ट्रीय अधिकार-क्षेत्र में रहा है‚ जहां समुद्री संरक्षित क्षेत्रों तथा ओईसीएम का कवरेज बढ़कर 01 प्रतिशत हो गया।
- ध्यातव्य है कि संरक्षित क्षेत्रों तथा ओईसीएम द्वारा पूर्व में निर्धारित 10 प्रतिशत लक्ष्य की तुलना में विश्व के महासागरों का कुल 74 प्रतिशत (28.1 मिलियन वर्ग किमी.) क्षेत्र को वैश्विक नेटवर्क में जोड़ा गया है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार‚ कुल 821 स्थलीय पारिस्थितिक क्षेत्रों की तुलना में 5 प्रतिशत स्थलीय पारिस्थितिक क्षेत्र पूर्व में निर्धारित 17 प्रतिशत कवरेज लक्ष्य को पूरा करते हैं‚ जबकि 232 समुद्री पारिस्थितिक क्षेत्रों की तुलना में 47.4 प्रतिशत समुद्री पारिस्थितिक क्षेत्रों के द्वारा पूर्व में निर्धारित 10 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा किया जाता है।
- गौरतलब है कि 1 प्रतिशत स्थलीय पारिस्थितिक क्षेत्रों तथा 15.5 प्रतिशत समुद्री पारिस्थितिक क्षेत्रों में अभी भी पहुंच का विस्तार नहीं है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार‚ महासागरों के 37 पेलेजिक प्रदेशों (Pelagic Provinces) में‚ जो बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय अधिकार-क्षेत्र के बाहर हैं‚ के मात्र 8 प्रतिशत ही निर्धारित 10 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करते हैं।
- वर्तमान में‚ सुरक्षित क्षेत्रों या ओईसीएम द्वारा 8 प्रतिशत स्थलीय एवं अंतर्देशीय जल क्षेत्रों तथा 33.9 प्रतिशत समुद्री क्षेत्रों में किसी भी तरह की पहुंच सुनिश्चित नहीं हो सकी है।
- यह आकलन‚ संरक्षित क्षेत्रों के द्वारा कवर किए गये क्षेत्र के मात्र 29% के आधार पर किए गए हैं‚ जिसके द्वारा कई मानकों को पूरा नहीं किया गया है।
- ध्यातव्य है कि आरक्षित और संरक्षित क्षेत्रों के लिए आईयूसीएन की ग्रीन लिस्ट जैसे वैश्विक मानकों के अधिक से अधिक उपयोग से इन कमजोरियों को दूर करने में मदद मिलेगी।
भारत में संरक्षित क्षेत्र :
- भारत के पास 903 संरक्षित क्षेत्रों का एक नेटवर्क है जो इसके कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 5% कवर करता है।
- भारत में आईसीयूएन द्वारा परिभाषित निम्नलिखित प्रकार के संरक्षित क्षेत्र हैं:
- राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य, बायोस्फीयर रिज़र्व, आरक्षित और संरक्षित वन, संरक्षण भंडार तथा सामुदायिक भंडार, निजी संरक्षित क्षेत्र।
NOTE : संरक्षित क्षेत्र भूमि या समुद्र के वे क्षेत्र हैं जिन्हें जैव विविधता और सामाजिक-पर्यावरणीय मूल्यों के संरक्षण के लिये सुरक्षा के कुछ मानक दिये गए हैं। इन क्षेत्रों में मानव हस्तक्षेप तथा संसाधनों का दोहन सीमित है।
आईची लक्ष्य (Aichi Target-11)पृष्ठभूमि
- 20 वैश्विक आईची जैव विविधता लक्ष्यों के अनुरूप कन्वेंशन प्रक्रिया के तहत विकसित 12 राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य (NBT) की उपलब्धि में प्रगति का एक अपडेट प्रदान करता है।
- आईची लक्ष्य को कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (CBD) ने अपने नागोया जापान(आईची प्रांत) में वर्ष 2010 में आयोजित सम्मलेन सम्मेलन में अपनाया था।
- लघु अवधि की योजना 20 महत्वाकांक्षी किन्तु अब तक प्राप्त न किये गए लक्ष्यों का एक समूह प्रदान करती है, जिसे सामूहिक रूप से आईची लक्ष्य के रूप में जाना जाता है।
आईची लक्ष्यों का वर्गीकरण :
आईची लक्ष्य= 20 लक्ष्य, जिन्हें 5 खण्डों (A to E) में बाँटा गया है:
- रणनीतिक लक्ष्य A
- सरकार और समाज में जैव विविधता को मुख्यधारा में लाकर हानि को प्रबंधित करते हुए जैव विविधता हानि के कारणों को सम्बोधित करना।
- रणनीतिक लक्ष्य B
- जैव विविधता पर प्रत्यक्ष दबाव कम करना और संधारणीय उपयोग को बढ़ावा देना।
- रणनीतिक लक्ष्य C
- पारिस्थितिक तंत्र, प्रजातियों और आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करके जैव विविधता की स्थिति में सुधार करना
- रणनीतिक लक्ष्य D
- सभी को जैव विविधता के लाभ प्रदान करना।
- रणनीतिक लक्ष्य E
- सहयोगात्मक योजना निर्माण, ज्ञान प्रबंधन और क्षमता निर्माण के माध्यम से कार्यान्वयन बढ़ाना
कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी (CBD)
- जैव विविधता अभिसमय पर 5 जून, 1992 को रियो पृथ्वी सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर आरंभ हुआ। 30 देशों की अभिपुष्टि के पश्चात यह अभिसमय 29 दिसंबर, 1993 को प्रभावी हुआ।
- भारत ने इस अभिसमय पर 5 जून, 1992 को हस्ताक्षर किया, 18 फरवरी, 1994 को इसकी अभिपुष्टि (रैटिफाय) की और 19 मई, 1994 को इसका पक्षकार बना।
- वर्ष 2018 में अभिसमय के प्रभावी होने के 25 वर्ष हो गए हैं। इस अभिसमय में कुल 42 अनुच्छेद हैं।
- लगभग सभी देशों ने इसकी पुष्टि की है (ध्यातव्य है कि अमेरिका ने इसपर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन पुष्टि नहीं की है)।
- सीबीडी सचिवालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में स्थित है और यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत संचालित होता है।
- सीबीडी के तहत पक्षकार (देश), नियमित अंतराल पर मिलते हैं और इन बैठकों को कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़ (COP) कहा जाता है।
इसके तीन मुख्य उद्देश्य हैं:
- जैविक विविधता का संरक्षण।
- जैविक विविधता के घटकों का स्थायी उपयोग।
- आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों का उचित और न्यायसंगत साझाकरण।
भारत और जैव विवधता लक्ष्य :
भारत द्वारा वर्ष 2020 में कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीबीडी) के लिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। जिसमें बताया गया था की भारत जैव विवधता लक्ष्यों और आईची लक्ष्यों की प्राप्ति में कितना संवेदनशील है. इस रिपोर्ट के कुछ प्रमुख बिंदु –
- भारत ने दो राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्यों (NBT) को पार कर लिया है। यह आठ राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य (NBT) को प्राप्त करने के मार्ग पर है और शेष दो राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य (NBT) के संबंध में भी, भारत 2020 के निर्धारित समय में लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रयास कर रहा है।
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने आईची लक्ष्य 11 के 17 प्रतिशत स्थलीय घटक को और जैव विविधता प्रबंधन के अंतर्गत निहित क्षेत्रों से संबंधित NBT के 20 प्रतिशत को पार कर लिया है।
- भारत कई विकास योजनाओं के माध्यम से 70,000 करोड़ रुपये की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जैव विविधता की एक बड़ी राशि का निवेश करता रहा है।
- कृषि, मत्स्य और वनों का संधारणीय प्रबंधन।
- उपजाये गए पौधों, कृषि पशुधन और उनके वनीय सम्बन्धियों की आनुवंशिक विविधता बनाए रखना।
- जैव विविधता से संबंधित कोडित और मौखिक पारंपरिक ज्ञान की विशाल विरासत को पहचानने और उनकी सुरक्षा के लिए तंत्र और सक्षम वातावरण बनाया जा रहा है
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) :
संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संबंधी गतिविधियों का नियंत्रण करता है। इसकी स्थापना जून 1972 में संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन के परिणामस्वरूप की गई थी। इसका मुख्यालय नैरोबी में स्थित है। इसके साथ ही इसके छः अन्य देशों में भी क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
Mock Test
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न अभ्यास श्रंखला :
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